समय की बात

समय समय की बात है

क्या समय ही जज़्बात है ?

 

समय का सच या सच का समय

कब होता है – कब नहीं होता

किसे पता है – जब होता है

 

संसार समय का सार है

आज ख़ास जो कल बेकार है

इस दिव्य रूप में तुम्हारा होना

शाश्वत, प्रतिदिन मेरा साक्षात्कार है

 

एक मिलन से शुरू ज़िन्दगी

प्रत्येक मिलन की श्रृंखला है

कितनो से मिला और मिलना है

खुद से मिलना याद रखना है

 

तुम हो तो हम हैं

हम हैं तो हम सब

ख़ुशी का सबब है एक साथ

हम सब के होने का मतलब

  

चार में बटी या चार में जुडी

चार से छह और दस होंगे

हथकड़ी बन जाएगी कड़ी

जब सीने में अपने होंगे

 

समय समय की बात है

क्या समय ही जज़्बात है ?

 

साजन जो सज्जन मिले
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प्रीत को रखियो संभाल

अंखियों की गर्माहट से

दिल रोज़ टटोल डाल

 

दिन कोई कैसा भी हो

रात सोई हो सवेरा हो

रात दिन हम लड़ जुडें

मन में ना अँधेरा हो

 

मार्च – २०१४ प्रतिलिप्याधिकार